श्री बडमाताजी के अर्चना के नियम ।
१ अटुट श्रध्दा रखें ।
२ कोई लोढा काला वस्त्र नहीं पहने, धर में काली भैंस या काला बकरा नहीं पाले, काली मटकी भी नहीं रखे । क्योंकि लोढा को काली वस्तुओं का उपयोग वर्जित है।
३ पूजा स्थल पर स्वच्छता का पूरा ध्यान रखें।
४ कोई लोढा चकला नहीं खरीदें तथा पुत्री को दहेज में नही दें।
५ मोसमाः, पुत्र जन्म के १ माह पश्चात जब बहु धर से बाहर आए उस समय पहले श्री कुलदेवी के दर्शन करें, श्री से नमन करें, फिर बाहर जावें।
६ शिशु का नामकरण समारोह कुलदेवी के समक्ष करें।
७ एक वर्ष या तीन वर्ष के बालक का मुण्डन संस्कार भी बडवासन देवी के मन्दिर में ही आयोजित करें।
८ विवाह के पश्चात् (जात) प्रथम दर्शन, नमन करने के लिए श्री कुलदेवी के मन्दिर जाएं।
९ नवरात्रि में स्त्रिया मेहन्दी नहीं रचाये, प्रातः संध्या समय दीप-धुप करके श्री बडवासन देवी की आरती उतारें।
१० बड (वटवृक्ष) के पत्ते का निरादर कभी नहीं करें, न जलाएं।
११ बालक के जन्म पर जच्चा को जो भी दिया जाए, उसे श्री बडवासन देवी को चढाकर फिर दें।
१२ दशोटन, मासमो, जात, झडूला के समय जैसी श्रध्दा हो वैसे सवा | पाव, सवा सेर, सवा पांच सेर बाट व गुड की लापसी चढ़ाऐ।
१३ मुंडन के समय नमन द्वार की सीढियों से श्री कुलदेवी के गबंभीरे | तक प्रत्येक पागोतिया (सीढ़ी) पर एक-एक नारियल (श्रीफल) चढाएं।
१४ विवाह का प्रथम निमंत्रण पत्र श्री बडवासन देवी के चरणों में प्रस्तुत करें।
१५ विवाह या सुप्रसंग अवसर पर जो भी मिष्ठान बने, उसे पहले श्री | बडमाताजी को चढ़ाएं।
१६ नवरात्रि में अगर कोई भी महिला को मासिक धर्म आवे तो प्रति महिला १-१ श्रीफल दंड स्वरुप श्री बडवासन देवी को दशहरे के | दिन चढ़ाएं।
१७ दशहरे के पूजन-हवन में जरुरत के अनुसार सवापाव, सवासेर, सवापांच सेर बाट की गुड की लापसी चढाएं तथा ये चावल, खिचडी खाजा बनाएं। सभी ९-९ हातियां निकाले। धी और खाजा से हवन करें । लापसी प्रसाद और श्रीफल की चिटक (टुकडा) गंदी जगह पर न गिरे, इसका विशेष ध्यान रखें।
१८ नवरात्री में स्त्रियां सिलाई का कार्य नही करें।
१९ माताजी के दीपक सभी धी के होते हैं। दशहरे के दिन तो अखण्ड दीपक रात भर रहता है। कम से कम नवरात्री में प्रातः संध्या समय प्रत्येक लोढ़ा माताजी को धूप, दीप, पूजा करके आरती करे।
२० बच्चे के लिए बजने वाले झुनझुने नहीं खरीदें ।
२१ नवरात्री में पुरुष हजामत नहीं बनाये।
२२ नवरात्री में कोई महिला साबुन से बाल नही धोर्वे ।
२३ नवरात्री में ब्रह्मचर्य का पालन करें।
२४ "श्री बडमाता नमः" की एक माला फेरे। जो कोई लोढा अपनी कुलदेवी में अटुट श्रध्दा रखेगा उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी, रिध्दि-सिध्दि में वृध्दि होगी।
श्री बड़माताजी मंदिर संस्थान, भड़ाणा, मारवाड़ मुंडवा, जिला - नागौर, पिन - 341026.
9521794086
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